भुनगे से हम,
समझते हैं दुनियां चला रहे!
दुनियां की औकात,
ब्रह्माण्ड के समक्ष,
सब जानते हैं, कुछ भी नहीं!
बड़ा बनने की जुगत में, पर
जोर ये सारा लगा रहे!
बड़ा बनो! कितना बनोगे पर,
सौरमंडल,आकाशगंगा,गैलेक्सी,
संभावना उन पर भी है,
जीवन की!
हम सा ना हो!
गनीमत है,
ये मुग़ालता बना रहे!
यथार्थ !
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